Mp news: किसान भाई हो जाये सावधान,गोभैंसीय पशुधन में मुंह-खुरी एवं पीपीआर रोग पर नियंत्रण हेतु जिले में 6.50 लाख पशुओं के टीकाकरण का लक्ष्य: डॉ. पाटिल

Mp news: किसान भाई हो जाये सावधान,गोभैंसीय पशुधन में मुंह-खुरी एवं पीपीआर रोग पर नियंत्रण हेतु जिले में 6.50 लाख पशुओं के टीकाकरण का लक्ष्य: डॉ. पाटिल राज्य शासन की मंशा के अनुरूप बैतूल जिले में 15 मई 2024 से 15 जुलाई 2024 तक गौ-भैंसवंशीय पशुओं में मुंह-खुरी रोग के रोकथाम हेतु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के चतुर्थ चरण में 6 लाख 50 हजार पशुओं को प्रतिबंधात्मक टीकाकरण किया जा रहा है।

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भारत सरकार के भारत पशुधन एप पर ऑनलाईन पंजीयन किया जाएगा

कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी श्री नरेन्द्र कुमार सूर्यवंशी के मार्गदर्शन में जिले में मुंह-खुरी रोग एवं पी.पी.आर रोग नियंत्रण कार्यक्रम का चतुर्थ चरण चलन में है। पशुपालन एवं डेयरी विभाग के उपसंचालक डॉ.विजय पाटिल ने बताया कि जिले के समस्त ग्रामें हेतु विस्तृत कार्ययोजना तैयार कर पशुपालकों के घर-घर जाकर नि:शुल्क टीकाकरण किया जा रहा है। साथ ही ऐसे पशु जिनमें कान में टैग नहीं लगा हुआ है उनके कान में टैग भी लगाकर भारत सरकार के भारत पशुधन एप पर ऑनलाईन पंजीयन किया जाएगा।

मुंह-खुरी एक संक्रामक रोग

उपसंचालक द्वारा बताया गया कि मुह-खुरी विषाणु जनित तथा बेहद संक्रामक रोग हैं। पशुओं में इसके प्रमुख लक्षण पशु को ज्वर होना, जीभ तथा तलवे पर छालों का उतरना है जो बाद में फूट कर घाव में बदल जाते हैं। खुरों के बीच में घाव होने से पशु का लंगड़ा कर चलना या चलना बंद कर देता है। मुंह में घावों की वजह से पशु भोजन लेना तथा जुगाली करना बंद कर देता है एवं कमजोर हो जाता है। दूध उत्पादन में लगभग 80 प्रतिशत की कमी, गाभिन पशुओं के गर्भपात एवं बच्चा मरा हुआ पैदा हो सकता है। छोटे बछड़े बछियाओं में अत्याधिक ज्वर आने के पश्चात बिना किसी लक्षण के मृत्यु होना। इस रोग के कारण पशु स्वास्थ्य एवं दुग्ध उत्पादन पर प्रत्यक्ष नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इससे बचाव के लिए पशुपालकों को अपने पशुओं का टीकाकरण करवाना आवश्यक है। जिले की सभी संस्थाओं को निर्देश दिए गए हैं एवं विकासखंड स्तर की संस्थाओं में टीका द्रव्य उपलब्ध करा दिया गया है।

पशुपालक आर्थिक क्षति पर  होगा नियंत्रण

विगत तीन चरणों में किये गए मुँह-खुरी रोग टीकाकरण कार्यक्रम के कारण जिले में मुंह-खुरी रोग के प्रकोप नहीं हुए है, जिससे इस रोग के कारण पशुपालकों को होने वाली आर्थिक क्षति पर नियंत्रण किया गया है।

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