Mahakal Mandir Ujjain: लाखो हिन्दुओ की आस्था का गढ़ है महाकाल मंदिर उज्जैन
माना जाता है की इस मंदिर का निर्माण1000 वर्ष पूर्व हुआ है.इस मंदिर का विस्तार राजा विक्रमादित्य ने करवया था
जाने महाकाल मंदिर के बारे में
माना जाता है की उन्होंने राक्षसों का विनाश किया और महाकाल के रूप में प्रकट हुए। शिव ने अपनी तेज आवाज से राक्षस का वध कर दिया। इसके बाद ब्राह्मण ने यहां विराजमान महादेव से प्रार्थना की. माना जाता है कि ब्राह्मणों के अनुरोध पर भगवान शिव यहां महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में अवतरित हुए थे।
भारत में विरजामन 12 ज्योतिर्लिंग में से एक ज्योतिर्लिंग उज्जैन में विराजमान है जिसे हम उज्जैन महाकाल मंदिर के नाम से भी जानते है जो की मध्यप्रदेश के इंदौर शहर के पास उज्जैन में स्थित है उज्जैन महाकाल की भस्म आरती बहुत ही सुप्रसिद्ध है यह आरती रोज सुभह 4 बजे होती है भस्म आरती की उज्जैन के महाकाल मंदिर में भगवान शिव के सम्मान में ब्रह्म मुहूर्त में भस्म आरती की जाती है। इसके साथ एक पौराणिक कहानी भी जुड़ी हुई है, जैसे कि उज्जैन पर सबसे पहले राजा चंद्रासन का शासन था, जिन पर दूषण नामक राक्षस ने हमला किया था। महकार राक्षसों के आक्रमण से भक्तों की रक्षा की है इसके बाद तभी से उज्जैन में भस्म आरती करने की परंपरा चली आ रही है।
उज्जैन का राजा सिर्फ एक ही है महाकाल
वेद पुराणों में उज्जैन महाकाल मंदिर का काफी महत्त्व बताया गया है परन्तु काफी काम लोग उज्जैन मंदिर के बारे में जानते है की मंदिर की उत्पत्ति कैसी हुई है आपको यह जानकारी आज तक किसी ने नहीं बताया होंगा की उज्जैन का सिर्फ एक ही राजा है आज भी वहा किसी राजा को रुकने की इजाजत नहीं है क्यूंकि उज्जैन का एक ही राजा वो है महाकाल बाबा।
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दर्शन मात्र से मिलेंगी पापो से मुक्ति
मान्यता के अनुसार संकर जी को अर्पित की गई भस्म से तिलक लगाने से किये गए पापो से मुक्ति मिलती है महाकाल बाबा की पूजा में भस्म का विशेष महत्त्व बताया गया है बाबा के ऊपर चढ़ये गये भस्म को ग्रहण करने मात्र से पापो से मुक्ति प्राप्त होती है।
Mahakal Mandir Ujjain: लाखो हिन्दुओ की आस्था का गढ़ है महाकाल मंदिर उज्जैन
जाने महाकाल मंदिर के रहस्य
पौराणिक कथाओ के अनुसार वेद प्रिय नाम का एक ब्राह्मण अवन्ति नगर में रहता था वह संकर जी का परम भक्त था वह प्रतिदिन सुबह शाम दोनों टाइम भगवान शंकर जी की पूजा अर्चन करता था उसकी इतनी अटूट भक्ति को देखकर एक राक्षस जिसका नाम दूषण था वह अवन्ति नगर में आया और पूजा अर्चन करने वालो भक्तो को रोकने लगा एवं तांडव करने लगा जिससे परेशान होकर भक्तो ने शिव जी से विनती की संकर जी ने भको की बचाने के लिए राक्षस को काफी चेतावनी दी कोई असर न होने पर संकर जी क्रोधित हो उठे और धरती चिर के प्रकट हुए शंकर जी ने अपनी हुंकार मात्र से राक्षस को भस्म कर दिया।
महाकाल मंदिर के समीप ही विराजमान है कालभैरव मंदिर
कालभैरव मंदिर शिप्रा नदी के तट पर स्तिथ है जहा प्रति दिन हजारो श्रद्धालु पहुंचते है कालभैरव मन्दिर में शराब का विशेष महत्त्व माना जाता है जो की कालभैरव बाबा को प्रशाद के रूप में चढ़ाया जाता है यहाँ मंदिर का निर्माण भद्रसेन नमक राजा ने करवाया था।
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उज्जैन में महाकाल लोक का भी हो चूका है निर्माण
बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में बनाए गए महाकाल लोक का लोकार्पण श्री नरेंद्र मोदी जी ने किया है यह निर्माण करीब 20 हेक्टेयर में कराया गया है एवं काशी विश्वनाथ कॉरिडोर करीब 5 हेक्टेयर में फैला हुआ है इस महाकाल लोक में करीब 200 मुर्तिया सस्थापित की गई है जिससे महाकाल लोक देखने में बहुत ही सुन्दर नजर आता है।